हौज़ा न्यूज़ एजेंसी हिन्दीं के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम सैयद जलाल हुसैनी ने सनंदज में हौज़ा न्यूज़ के प्रतिनिधि से बातचीत में जम्हूरी-ए-इस्लामी ईरान की सशस्त्र सेनाओं और मिल्लत-ए-शरीफ़ ईरान को ज़ायोनी ग़ासिब हुकूमत और अमेरिका पर मिली जीत की मुबारकबाद देते हुए कहा, ज़ायोनी यह समझते थे कि उनके अचानक और कायराना हमलों से सरदारों, बुद्धिजीवियों और मासूम लोगों को निशाना बनाकर इस्लामी व्यवस्था की नींव को कमज़ोर कर देंगे, लेकिन अल्लाह के लुत्फ़ और रहबर-ए-मोअज़्ज़म की दूरदर्शी रणनीति से उनकी शैतानी साजिश नाकाम हो गई।
उन्होंने आगे कहा,हमने 12 दिनों के युद्ध के दौरान देखा कि पश्चिमी देशों ने ग़ासिब ज़ायोनी हुकूमत की सैन्य और हथियारों के मामले में कैसे समर्थन किया।
उनकी सारी उम्मीद थी कि ईरान कमज़ोर हो जाएगा, मगर अल्लाह ने चाहा कि न केवल ईरान कमज़ोर न हुआ, बल्कि दुश्मनों को अपमान और हार का सामना करना पड़ा।
हौज़ा-ए-इल्मिया के शिक्षक ने युद्ध के आँकड़ों के आधार पर कहा,ज़ायोनी हुकूमत के आधिकारिक बयानों के मुताबिक, इस 12 दिन के युद्ध में उनका 11 अरब डॉलर से अधिक, यानी सालाना रक्षा बजट का 15%, बर्बाद हो गया, जो इस ग़ासिब और बच्चों के क़ातिल इजरायली व्यवस्था के लिए एक और बड़ी हार है।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी ने अंत में कहा,हमें उम्मीद है कि ज़ायोनी हुकूमत और उसके सभी समर्थक इस 12 दिन के युद्ध से सबक लेंगे और समझ जाएँगे कि ज़ायोनी व्यवस्था अंदर से टूट-फूट का शिकार है, और अल्लाह का वादा कि ग़ासिब इजरायल निस्ट-ओ-नाबूद होगा, पहले से कहीं अधिक नज़दीक आ चुका है।
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